मंगल दोष: एक संक्षिप्त परिचय
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित होता है, तो उसे मंगल दोष माना जाता है। इस दोष के कारण विवाह में विलंब, वैवाहिक जीवन में कलह, रिश्तों में तनाव और अन्य प्रकार की बाधाएं आ सकती हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मंगल दोष की तीव्रता कुंडली के अन्य ग्रहों और उनकी स्थितियों पर भी निर्भर करती है।
मंगल भात पूजा: अशुभ प्रभावों को शांत करने का उपाय
मंगल भात पूजा विशेष रूप से मंगल दोष के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और मंगल ग्रह को शांत करने के लिए की जाती है। यह पूजा भगवान हनुमान और मंगल देव को समर्पित है, जो शक्ति, साहस और बाधाओं को दूर करने वाले देवता माने जाते हैं। इस पूजा में विशेष अनुष्ठान, मंत्र जाप और हवन किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य मंगल ग्रह की नकारात्मक ऊर्जा को शांत करना और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाना है।
मंगल भात पूजा का महत्व (Mangal Bhat Puja Ka Mahatva):
- मंगल दोष निवारण (Mangal Dosh Nivaran): यह पूजा मंगल दोष के कारण विवाह में आ रही बाधाओं और वैवाहिक जीवन में होने वाली परेशानियों को दूर करने में सहायक है।
- ग्रह शांति विधान (Grah Shanti Vidhaan): मंगल भात पूजा एक प्रकार का ग्रह शांति विधान है, जिसके माध्यम से मंगल ग्रह के अशुभ प्रभावों को शांत किया जाता है।
- मांगलिक पूजा (Manglik Pooja): जिन व्यक्तियों की कुंडली में मंगल दोष होता है, उन्हें मांगलिक कहा जाता है। यह पूजा विशेष रूप से मांगलिक व्यक्तियों के लिए लाभकारी है।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार: पूजा के दौरान किए गए मंत्र जाप और हवन से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे व्यक्ति को शांति और समृद्धि मिलती है।
- हनुमान जी की कृपा: भगवान हनुमान की पूजा करने से भक्तों को शक्ति, सुरक्षा और सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
- आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि: मंगल ग्रह ऊर्जा और साहस का प्रतीक है। इस पूजा के माध्यम से व्यक्ति के आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है।
मंगल भात पूजा की विधि (Mangal Bhat Puja Ki Vidhi):
मंगल भात पूजा आमतौर पर किसी मंदिर या योग्य पंडित द्वारा संपन्न कराई जाती है। पूजा की विधि इस प्रकार हो सकती है:
- संकल्प: पंडित जी यजमान से पूजा का संकल्प करवाते हैं, जिसमें पूजा का उद्देश्य और समय निर्धारित किया जाता है।
- गणेश पूजन: किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है, ताकि सभी बाधाएं दूर हों।
- मंगल देव और हनुमान जी की स्थापना: पूजा स्थल पर मंगल देव और भगवान हनुमान की प्रतिमा या चित्र स्थापित किए जाते हैं।
- मंत्र जाप: मंगल देव और हनुमान जी के विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है। “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” और “ॐ हनु हनुमते नमः” प्रमुख मंत्र हैं।
- हवन: हवन कुंड में अग्नि प्रज्वलित करके मंगल ग्रह से संबंधित सामग्री (जैसे खैर की लकड़ी, लाल फूल, मसूर दाल) और मंत्रों का उच्चारण करते हुए आहुतियां दी जाती हैं।
- आरती: पूजा के अंत में मंगल देव और हनुमान जी की आरती की जाती है।
- प्रसाद वितरण: पूजा के बाद भक्तों को प्रसाद वितरित किया जाता है।
मंगल भात पूजा कब करें?
मंगल भात पूजा मंगलवार के दिन करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है, क्योंकि यह दिन भगवान हनुमान और मंगल देव को समर्पित है। इसके अलावा, किसी शुभ मुहूर्त या पंडित जी द्वारा बताए गए विशेष समय पर भी यह पूजा की जा सकती है।
निष्कर्ष:
मंगल भात पूजा मंगल दोष के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और जीवन में सुख–शांति लाने का एक शक्तिशाली उपाय है। यदि आपकी कुंडली में मंगल दोष है या आप मंगल ग्रह के अशुभ प्रभावों से परेशान हैं, तो योग्य पंडित से सलाह लेकर यह पूजा अवश्य कराएं। भगवान हनुमान और मंगल देव की कृपा से आपके जीवन की सभी बाधाएं दूर होंगी और खुशहाली आएगी।